Thursday, December 24, 2009

यह मेरी डायरी है

यह मेरी डायरी है |
यहाँ कोई देखे या ना देखे, पढ़े या ना पढ़े यह विचारो का एक पन्ना है जहाँ हम अपने विचार लिख सकते है।
कल महाभारत देख रहे थे| बनने वाले ने क्या खूब बनाई! आज के धारावाहिकों से महाभारत और रामायण की तुलना नहीं हो सकती|
आज अर्थ हावी है, २०-३० मिनिट में १५ मिनिट तो विज्ञापनों में ही चले जाते है न कोई शोध न कोई किरदार से जुड़ाव न निर्देशक का न दर्शको का |

प्रसंग था कि अर्जुन द्रोपती को जीतकर अपनी माता के पास लाते है|
उपहास मे भिक्षा कहते है .................................
फिर अपनों से बड़ो के साथ उपहास का दंड, पूर्वजन्म का द्रोपती को फल , कृष्ण का सबको सत्य बताना .........
वाह जी वाह
रोमांच अभी भी है...............

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